ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद। इस ख़ुशी के मौके पर अगर हमें एक दुसरे से जाने अनजाने में, मन को चोट पहुंची हो तो हमें एक दुसरे को मुआफ कर देना चाहिए, क्यूंकि खुदा भी हमें मुआफ करना चाहता है। अगर हम एक दुसरे को मुआफ नहीं कर सकते और बदला लेने की थान बैठे है, ठीक इसी तऱीके से खुदा भी हमें रोज़ाना की जाने वाली ग़लतियों को मुआफ न करते हुऐ हमें सज़ा देने की थान ले तो? हमें सच्चे दिल से खुदा से दुआ मांगनी चाहिए के हमारे कामों की वजह से नहीं बल्कि अपने रहम दिली की वजह से हमें मुआफ फरमाएं।
ख्वाहिशों का सिलसिला कभी भी खत्म नहीं होता। हमें किस चीज़ की ज़रूरत है इसकी फ़िक्र खुदा पर छोड़ने में बेहतरी है। अगर हम खुदा के बताए हुऐ रस्ते पे चलते हैं तो ऐसा कैसे हो सकता है के खुदा को हमारी ज़रूरतों की फ़िक्र नहीं होगी ? हमें इस मुबारक मौके पर खुदा से यही मांगना चाहिए के खुदा अपने बताए रस्ते को समझने की और उस पर चलने की तौफीक दे। खुदा हमें इतना ज़्यादा न दे के हम में ग़रूर आ जाए और इतना कम न दे के हम अपने ख़ानदान और अपने इर्द गिर्द लोगों की ज़रूरतों को पूरी न कर सकें
इस ख़ुशी के मोके पर हमें अपने, जो अब इस दुनियां में नहीं रहे उन को भूलना नहीं चाहिए उनकी कब्र पर भी ज़रूर जाना चाहिए कुछ समय वहां भी बिताना चाहिए और अपना फ़र्ज़ पूरा करना चाहिए । ईद की खुशीआं घर के लोगों में, रिश्तेदारों में और आस पड़ोस में बाँटने से दुगनी होती हैं
सब को ईद मुबारक
ख्वाहिशों का सिलसिला कभी भी खत्म नहीं होता। हमें किस चीज़ की ज़रूरत है इसकी फ़िक्र खुदा पर छोड़ने में बेहतरी है। अगर हम खुदा के बताए हुऐ रस्ते पे चलते हैं तो ऐसा कैसे हो सकता है के खुदा को हमारी ज़रूरतों की फ़िक्र नहीं होगी ? हमें इस मुबारक मौके पर खुदा से यही मांगना चाहिए के खुदा अपने बताए रस्ते को समझने की और उस पर चलने की तौफीक दे। खुदा हमें इतना ज़्यादा न दे के हम में ग़रूर आ जाए और इतना कम न दे के हम अपने ख़ानदान और अपने इर्द गिर्द लोगों की ज़रूरतों को पूरी न कर सकें
इस ख़ुशी के मोके पर हमें अपने, जो अब इस दुनियां में नहीं रहे उन को भूलना नहीं चाहिए उनकी कब्र पर भी ज़रूर जाना चाहिए कुछ समय वहां भी बिताना चाहिए और अपना फ़र्ज़ पूरा करना चाहिए । ईद की खुशीआं घर के लोगों में, रिश्तेदारों में और आस पड़ोस में बाँटने से दुगनी होती हैं
सब को ईद मुबारक
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